तुम्हारा परमानेंट पता मैं
मेरा परमानेंट पता तुम
और हमारा प्रेम
एक खुशहाल शांत गाँव
मगर ये रूठना तुम्हारा
किसी बहुत भगदौड़ वाले शहर से कम नहीं
न जानें उढेले गए एक दूसरे पर
वो सारे स्नेह भरे पल
पल भर में ही कहाँ गुम हो जाते है
एक तो आज इतवार, थका-थका मिज़ाज़
उसपर ये खिली-खिली धूप
मसालेदार चाय की चाहत मगर
तुम्हारी ये बहसबाजी
चाय की पत्तियाँ बर्तन में
कुछ ज़्यादा ही अपना रंग छोड़ देती है
वैसे एक बात कहूँ....
बहुत प्यार आता है
जब पल भर को सकुचाई
फिर तुम्हारा वही की वही हो जाना
वो उंगलियों में उंगलियों का उलझना
तुम्हारे भीतर पुनः उसी प्रकार
मेरे लिए स्नेह और प्रेम का
अविरल प्रवाह को
महसूस करना
और सबसे अच्छा लगता है
बेहद करीब से
हमारे होंठो पर वह प्रेम का मंत्रोच्चारन
हैं ना...!!
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प्रिया पाण्डेय रोशनी
Swati chourasia
04-Mar-2022 06:45 AM
Very beautiful 👌
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Arshi khan
03-Mar-2022 09:19 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
03-Mar-2022 09:15 PM
बहुत खूबसूरत
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